*डायबिटीज़:- यह एक गंभीर बीमारी है , जो हमारे शरीर में शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में परेशानी पैदा करता है। डायबिटीज़ के मुख्य दो प्रकार होते हैं – टाइप 1 , टाइप 2.

टाइप – 1 डायबिटीज़:-

1- प्रतिरक्षा प्रणाली कि गड़बड़ी:- टाइप -1 डायबिटीज़ एक आटोइम्युन विकार है, जिसमें प्रतीरक्षा प्रणाली से पैनिकृयाज में इंसुलिन बनने वाली कोशिकाओं पर हमला कर‌ देती है।

2 – अनुवांशिक कारक: – यदि पुरे परिवार में किसी को टाइप -1 डायबिटीज़ हो तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।

3- पर्यावरणीय कारक: – कुछ बेक्टैरिया या वाइरस से भी संक्रमण होने से इस बीमारी का कारक हो सकता है।

* टाइप -2 डायबिटीज़ के कारण* :-

1- इंसुलिन प्रतिरोध :- शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को देती है और ग्लुकोज़ को ठिक से अवशोषित नहीं कर पाता है।

2- अनुवांशिक कारक :- इतिहास में यदि परिवार में किसी को भी टाइप- 2 डायबिटीज़ होगा तो, इस बीमारी कि सम्भावना बढ़ सकती है।

3- अधिक वजन और मोटापा :- मोटापा ज्यादातर पेट के आसपास का मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध का मुख्य कारण है।

4- शारीरिक निष्क्रियता: – नियमित शारीरिक गतिविधि की कमी भी टाइप -2 डायबिटीज़ का कारण बन सकती है।

5- अनुचित आहार :- ज्यादा शुगर और वसा  युक्त आहार का सेवन करना भी इस बीमारी को बढ़ा सकता है।

6- उम्र:- उम्र बढ़ने के साथ‌ टाइप :-2 डायबिटीज़ कि सम्भावना बढ़ जाती है।

7- हाई रक्त चाप और हाई कोलेस्ट्रॉल:- ये भी टाइप -2 डायबिटीज़ का कारण बन‌ सकती है।

*डायबिटीज़ के लक्षण :-

1- ज्यादा प्यास लगना:- बार –  बार और ज्यादा प्यास लगना।

2-  ज्यादा भूख लगना:-  ज्यादा खाने के बाद भी भूख लगना।

3- बार बार पेसाब लगना :-  ज्यादा तर रात मे बार बार पेशाब लगना ।

4- थकान :- लगातर थकान और कमजोरी महसूस होना।

5- वजन‌ कम होना:- बिना किसी कारण के वजन कम होना।

6- धुंधलापन:- धुंधला दिखना।

7- घावों का धीरे भरना:- चोट या घाव धीरे – धीरे भरना ।

8- त्वचा की समस्या:- संक्रमण या खुजली।

9- हाथ , पैर में झूनझूनी लगना:- हाथ , पैर में सुनापन आ जाना।

* डायबिटीज़ के कुछ अन्य समभावित कारण :-

1-  हार्मोनल‌ परिवत:- कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गर्भ कालीन डायबिटीज़ हो सकती है।

2- पेनिकयाज की समस्या:- पैनिकिरिया को नुक़सान या बीमारी भी डायबिटीज़ का कारण बन सकती है।

3- कुछ दवाइयां:- कुछ दवाइयां जैसे की स्टैराइड भी रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकती है।

 

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